थोड़ा एडजस्ट कर ले
तू लड़की बनकर पैदा हुई है
तो क्या हुआ अगर तेरे जन्म पर सब अफ़सोस मना रहे हैं
तो क्या हुआ अगर तेरे आने पर सब ढाढ़स बंधा रहे हैं
थोड़ा एडजस्ट कर ले
तो क्या हुआ अगर तेरे कपड़ों में नहीं लड़कों के नियत में खोट है
तो क्या हुआ अगर तेरे आत्मसम्मान पर यह एक चोट है
थोड़ा एडजस्ट कर ले
तू कम पढ़ तेरे भाई की पढाई ज़्यादा ज़रूरी है
हमारे पास पैसे कम है थोड़ी मजबूरी है
थोड़ा एडजस्ट कर ले
तेरे पापा रिटायर होने वाले हैं शादी कर ले
भले ही तू तैयार नहीं न्योछावर अपनी आज़ादी कर ले
थोड़ा एडजस्ट कर ले
तो क्या हुआ अगर तेरे पति तुझे मारते हैं
कभी कभी तुझपर जान भी तो वारते हैं
थोड़ा एडजस्ट कर ले
अपने सपने दूसरों की सेवा में त्याग दे
अपनी अरमानों की चिता को जीतेजी ही तू आग दे
थोड़ा एडजस्ट कर ले
की बच्चे तेरे बड़े हो रहे हैं
अपने पांव पर अब खड़े हो रहे हैं
तुझे उनकी देखभाल करना है
ये और बात है की ज़माने के हर ताने का
सामना भी तुझे ही करना है
थोड़ा एडजस्ट कर ले
तू तो औरत है त्याग की मूरत है
यही कहना ज़माने की फितरत है
थोड़ा एडजस्ट कर ले
की कभी तू बेटी, बहु, पत्नी, माँ, या सास है
कभी तो तेरा भी दिन आएगा
यही तेरी आस है
थोड़ा एडजस्ट कर ले
यह कहना आसान है
मत करो हमेशा एडजस्ट
देना हर औरत को अब यही ज्ञान है..